राजस्थान में सरकार की अनुमति बिना केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई की एंट्री से सीएम अशोक गहलोत सख्त हो गए है। सीएम गहलोत ने आज मंत्रिपरिषद की बैठक बुलाई है। माना जा रहा है कि मंत्रिपरिषद के बैठक में सीबीआई की एंट्री को लेकर कुछ संशोधन को मंजूरी दे जा सकती है। उल्लेखनीय है कि राजस्थान में सीबीआई के बिना प्रदेश सरकार की सहमति के दखल पर बैन है। गहलोत सरकार ने सीएम के भाई अग्रेसन पर रेड के दौरान इस नियम को तोड़ने का आरोप लगाया है। ऐसे में हो सकता है कि राजस्थान में सीबीआई कार्रवाई को लेकर नियमों में कुछ और बदलाव किया जाए। राज्य सरकार सीबीआई के औचक प्रवेश संबंधी नियमों में संशोधन कर सकती है ताकि सीबीआई दिल्ली से आकर बिना राज्य की परमिशन के कार्रवाई न कर सके। हालांकि, कैबिनेट का आधिकारिक एजेंडा सामने नहीं आया है।
अनुमति के बिना सीबीआई की एंट्री पर बैन
उल्लेखनीय है कि 29 जुलाई 2020 को गहलोत सरकार ने अधिसूचना के जरिए सभी सामान्य सहमति की शर्तों को रद्द कर दिया था। धारा 3 के तहत किसी विशेष अपराध या किसी अपराध वर्ग की जांच के लिए सीबीआई को राजस्थान सरकार की पूर्व सहमति आवश्यक होती है। सीबीआई राज्य सरकार की अनुमति के बिना किसी भी केस की जांच नहीं कर सकती है। सीबीआई को जांच करने के लिए राज्य सरकार की मंजूरी लेना आवश्यक है। 29 जुलाई को राज्य के गृह विभाग ने आधिकारिक आदेश जारी किए थे। राज्य सरकार की अनुमति के बिना राज्य में सीबीआई की एंट्री से सीएम गहलोत नाराज बताए जा रहे हैं। दरअसल, भारत सरकार और राज्य सरकार के बीच 21 जनवरी 1989 को समझौता हुआ था। इसके तहत दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टाब्लिशमेंट एक्ट 1946 के तहत सीबीआई जांच को लेकर कुछ शर्तें तय हुई थी। राज्य के गृह विभाग ने 19 जुलाई अधिसूचना जारी दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टाब्लिशमेंट एक्ट के तहत जारी अधिसूचनाओं को खत्म कर दिया था। राज्य सरकार ने पुलिस एस्टाब्लिशमेंट एक्ट 1946 की धारा 6 के तहत सामान्य सहमति देने से इनकार कर दिया था। हालांकि, कैबिनेट का एजेंडा सामने नहीं आया है कि लेकिन माना जा रहा राज्य सरकार कुछ संशोधन कर सकती है।
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सीबीआई ने निकाला तोड़, गहलोत पलटवार की तैयारी में
चर्चा है कि मुख्यमंत्री के भाई अग्रसेन गहलोत पर जो कार्रवाई हो रही है उसमें मामला दिल्ली में दर्ज किया गया और क्योंकि यह मामला बंगाल, गुजरात और राजस्थान जैसे 3 राज्यों से जुड़ा हुआ है, ऐसे में दिल्ली सीबीआई राजस्थान पहुंच गई है और पड़ताल कर रही है। इसलिए सीबीआई ने मामला दिल्ली में दर्ज किया। 2020 में राजस्थान में जब कांग्रेस की विधायक कृष्णा पूनिया को सीबीआई ने पूछताछ के लिए बुलाया था। उसके बाद राजस्थान की गहलोत सरकार ने प्रदेश में सीबीआई की कार्रवाई पर आम सहमति वापस ले ली और सीबीआई की कार्रवाई के लिए पहले राज्य सरकार से मंजूरी आवश्यक कर दी। ऐसे में राजस्थान में सीबीआई विंग बिना मंजूरी के कार्रवाई नहीं कर सकती है। मंत्रिपरिषद की बैठक में सीबीआई के औचक प्रवेश संबंधी नियमों में संशोधन हो सकता है। ताकि सीबीआई दिल्ली से आकर बिना राज्य की परमिशन के कार्रवाई न कर सके।