उधर, आंदोलन को लेकर सरकार भी अलर्ट मोड में आ गई है। सरकार ने मंत्री विश्वेंद्र सिंह और संभागीय आयुक्त सांवरमल वर्मा को आंदोलनकारियों के प्रतिनिधियों से बात करने के लिए अधिकृत कर दिया है। इधर, आंदोलन की काबू में रखने और शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए नदबई, वैर भुसावर और उच्चैन तहसीलों में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। हालांकि अब तक 14 जून सुबह 11 बजे तक ही नेट बंद किया गया है, लेकिन इसके आगे बढ़ाए जानें की आशंका बनी हुई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आरक्षण संघर्ष समिति के संरक्षक लक्ष्मण सिंह कुशवाहा ने कहा कि हमारा आंदोलन संविधान के दायरे में रहकर ही हो रहा है। उन्होंने कहा, हमारे समाज में न तो कोई आईएएस है और न ही कोई आरएएस है। संविधान में अति पिछड़ी जातियां को आरक्षण देने की व्यवस्था की गई है। राज्य सरकार उन्हें अपने स्तर पर आरक्षण दे सकती है, इसका केंद्र से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा, काची समाज अति पिछड़े में आता है। उनकी जनसंख्या 12 प्रतिशत है, इस कारण हम उसी आधार पर आरक्षण की मांग कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने नहीं किया कोई विचार
कुशवाहा ने कहा, आरक्षण की मांग को इसको लेकर हम मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिल चुके हैं। उन्होंने हमारी मांग पर विचार करने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक कुछ नहीं किया गया। मजबूरी में हमें समाज के लोगों ने चक्का जाम किया है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की ओर से अब कोई बात करने नहीं आया है।
हाईवे खाली करें और वार्ता के लिए आ जाएं
मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने कहा, हम आंदोलनकारियों के प्रतिनिधियों से बात करने को तैयार हैं। सवाल यह है कि आंदोलन कर रहे माली समाज का लीडर कौन है? हम किससे बात करें। 24 घंटे से इन लोगों ने हाईवे जाम कर रखा है, इससे लोगों को परेशानी हो रही है। यह लोग हाईवे खाली करें और फिर वार्ता के लिए आ जाएं।