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राजस्थान में मंकीपॉक्स के दो संदिग्ध मिलने के बाद से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। दोनों को जयपुर के राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (आरयूएचएस ) में मंकीपॉक्स के मरीजों के लिए बने आइसोलेशन वार्ड में भर्ती किया गया है। राहत की बात यह है कि मंगलवार को एक संदिग्ध की रिपोर्ट निगेटिव आई है। उसे जल्द ही अस्पताल में छुट्टी दे दी जाएगी।
इधर, मंकीपॉक्स को लेकर स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा का बयान भी सामने आया है। एएनआई को दिए अपने बयान में मंत्री मीणा ने कहा, राजस्थान में अब तक मंकीपॉक्स का कोई मामला नहीं है। लक्षण वाले दो व्यक्तियों को भरतपुर और किशनगढ़ से जयपुर रेफर किया गया था। हम मंकीपॉक्स से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। संदिग्धों की जांच रिपोर्ट का इंतजार है।
जानकरी के अनुसार सोमवार को जयपुर के आरयूएचएस में मंकीपॉक्स के दो संदिग्धों को भर्ती किया गया था। इनमें से एक भरतपुर और दूसरा अजमेर जिले के किशनगढ़ का रहने वाला है। मंगलवार को भरतपुर के रहने वाले व्यक्ति की जांच रिपोर्ट निगेटिव आई है। किशनगढ़ के युवक की जांच रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। बता दें कि सोमवार को दोनों मरीजों के सैंपल जांच के लिए पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में भेजे गए थे। आज शाम या कल सुबह तक दूसरे संदिग्ध युवक की जांच रिपोर्ट भी आ सकती है।
20 साल के युवक की रिपोर्ट का इंजतार
राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के अधीक्षक डॉ. अजीत सिंह ने सोमवार को बताया था कि अजमेर जिले के किशनगढ़ के एक 20 साल लड़के को अस्पताल के विशेष मंकीपॉक्स कक्ष में भर्ती कराया गया था। संदिग्ध मरीज चार दिन से बुखार से पीड़ित है और उसके शरीर पर चकत्ते हैं। इससे पहले 35 साल के पहले संदिग्ध मरीज को 30 जुलाई को जयपुर के चाकसू के परिधीय अस्पताल से रेफर किया गया था। उन्होंने कहा था कि यह मामला संदिग्ध लक्षण का है। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही इसकी पुष्टि होगी।
क्या है मंकीपॉक्स?
मंकीपॉक्स वायरस मानव चेचक के समान एक दुर्लभ संक्रमण है। 1958 में शोध के लिए रखे गए बंदरों में यह पहली बार पाया गया था। 1970 में इस वायरस का पहला मामला रिपोर्ट किया गया था। यह रोग मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों में होता है। इसका कोई इलाज नहीं है, लेकिन चेचक का टीका इसे रोकने में 85 फीसदी सफल साबित हुआ है।