सामाजिक कार्यकर्ता अशोक पाठक
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सामाजिक कार्यकर्ता अशोक पाठक ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की तर्ज पर नगर परिषद करौली में कचरा संग्रहण और सफाई के नाम पर करोड़ों रुपये के घोटाले का पर्दाफाश किया है। अशोक पाठक ने करौली विधायक व राज्य मंत्री लाखन सिंह मीणा और करौली नगर परिषद सभापति के पुत्र व प्रतिनिधि अमीनुद्दीन खान पर केंद्र और राज्य सरकार के पैसे को लूटने का आरोप लगाया है।
पाठक ने कहा कि प्रधानमंत्री स्वच्छता कार्यक्रम के तहत केंद्र सरकार की ओर से करौली नगर परिषद के लिए 26 हूपर, दो बड़े रोड स्वीपर ट्रक और दो डंपर के रूप में कुल 30 वाहन उपलब्ध कराए गए थे। करीब 2 साल से 28 वाहन कबाड़खाने में पड़े हुए हैं बाकी बचे दो वाहनों के जरिए पूरे करौली नगर परिषद क्षेत्र के बजाय महज ढोलीखार मोहल्ला जो कि खुद सभापति का मोहल्ला है, उसमें ही सफाई कार्य कराया जा रहा है।
वहीं, इन सभी वाहनों के नाम पर नगर परिषद द्वारा तेल की पूरी खपत दिखाकर करोड़ों रुपये का घोटाला किया जा रहा है। तेल खपत में प्रतिमाह करीब 8 से 10 लाख रुपये इन वाहनों के नाम पर खर्च दिखाए जा रहे हैं, लेकिन अगर उस तेल की खपत की वास्तविकता को देखा जाए तो यह तेल डीजल और पेट्रोल के रूप में क्षेत्रीय विधायक लाखन सिंह मीणा, सभापति प्रतिनिधि अमीनुद्दीन खान, आयुक्त नरसी मीणा सहित इनके रिश्तेदार, मित्रगण और अन्य नगर परिषद कार्मिकों के निजी और व्यावसायिक वाहनों में जमकर खपाया जा रहा है।
विधायक, सभापति, आयुक्त और उनके परिचितों के वाहनों में खपाए जा रहे तेल का भुगतान नगर परिषद के खाते से किया जा रहा है। ऐसी सैकड़ों रसीदें अशोक पाठक के पास मौजूद हैं जिनके जरिए यह साबित होता है कि जिस डीजल पेट्रोल के बिलों का भुगतान नगर परिषद द्वारा किया गया है, वह सफाई वाहनों के बजाय विधायक, सभापति, आयुक्त, नगर परिषद कार्मिकों और उनके परिचितों के निजी और व्यवसायिक वाहनों में फूंका गया है।
पाठक ने कहा है कि करौली नगर परिषद में हर्षिता एंटरप्राइजेज के कर्ता-धर्ता और नगर परिषद के संवेदक रामगोपाल मीणा को प्रधानमंत्री स्वच्छता कार्यक्रम के तह प्रतिमाह करीब 50 लाख रुपए से अधिक का भुगतान किया जा रहा है।
करीब 2 साल से 800 अस्थाई सफाई कर्मचारियों को करौली शहर को स्वच्छ बनाने की जिम्मेदारी दी गई है। इसी प्रकार इंदिरा गांधी शहरी रोजगार योजना में सफाई व अन्य कार्यों के लिए लगाए गए 1500 श्रमिक और करीब 102 स्थाई सफाई कर्मचारियों के जरिए शहर को स्वच्छ बनाने का दावा किया जा रहा है। इसके बाद भी शहर में जगह-जगह गंदगी के ढेर पड़े हुए हैं।
अगर करौली नगर परिषद में दुरुस्त संसाधनों की संख्या को देखा जाए तो उनमें प्रतिमाह करीब 1000 लीटर से ज्यादा डीजल की खपत की आवश्यकता महसूस नहीं होती है लेकिन नगर परिषद के कारनामों की नजीर देखिए कि कबाड़ और नाकारा पड़े संसाधनों के आयुक्त, नगर परिषद नाम पर भी करीब 8 से 10 लाख रुपए के तेल को विधायक, सभापति, कार्मिक और उनके परिचितों के निजी वाहनों में खपा कर केंद्र और राज्य सरकार के बजट को जमकर चूना लगाया जा रहा है।
सामाजिक कार्यकर्ता अशोक पाठक ने कहा कि जो वाहन कबाड़े में पड़े हुए हैं उनकी मरम्मत के नाम पर दो-दो, तीन-तीन बार ईकोसेंस फर्म के नाम से अब तक लाखों रुपये का फर्जी भुगतान किया जा चुका है।
आरोप है कि 6 महीने पहले नगर परिषद में व्याप्त भ्रष्टाचार के चलते पार्षदों की शिकायत पर संभागीय आयुक्त भरतपुर द्वारा नरसी मीणा को एपीओ कर हटा दिया गया था, लेकिन एक मंत्री के चलते उन्हें तुरंत वापसी हो गई।