विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी भाजपा।
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राजस्थान के विधानसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा अक्टूबर के दूसरे हफ्ते में कभी भी हो सकती है। इस लिहाज से सिर्फ डेढ़ महीना बचा है। इसे देखते हुए दोनों ही प्रमुख दलों ने अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देने और उसमें पैनापन लाने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। भाजपा काशी नीति पर काम कर रही है। इसमें शीर्ष नेतृत्व का जुड़ाव सीधे निचले स्तर के कार्यकर्ता से सुनिश्चित किया जा रहा है।
राजस्थान में कांग्रेस ने चुनावी रणनीति में बढ़त हासिल कर ली है। टिकट वितरण के लिए प्रक्रिया तेज कर दी गई है। सर्वेक्षणों और फीडबैक का दौर जारी है। भाजपा में सबकुछ शांत ही नजर आ रहा है। हालांकि, ऐसा है नहीं। पिछले कुछ साल से संगठन मंत्री चंद्रशेखर के नेतृत्व में पार्टी चुनावों की तैयारी कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर चंद्रशेखर को जिम्मेदारी दी गई थी। उन्होंने मोदी का काशी मॉडल लागू किया ताकि निचली पायदान पर बैठा कार्यकर्ता भी शीर्ष नेतृत्व से संपर्क में रहकर काम कर सके। इसके बाद ही केंद्रीय योजनाओं के हितों के बारे में जनता तक पहुंचाने की रणनीति पर काम आगे बढ़ा। राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष ने जयपुर में कार्यशाला में भी चंद्रशेखर की भूमिका को सराहा था।
52 हजार बूथ पर टीम तैयार
राजस्थान के 52 हजार पोलिंग बूथों पर भाजपा की टीम तैयार है। प्रदेश संगठन के निर्देश पर काम कर रही है। टेक्नोलॉजी का सहारा लेते हुए चंद्रशेखर ने इन तक सीधी पहुंच बनाई है। वॉट्सएप ग्रुप बनाकर जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को जोड़ा गया है। भाजपा के पास एक लाख वॉट्सएप ग्रुप तैयार हैं। इनमें दो करोड़ लोगों को जोड़ा जा चुका है। एक क्लिक पर भाजपा का शीर्ष नेतृत्व सीधे दो करोड़ लोगों तक अपना संदेश पहुंचा रहा है। मंडल या बूथ का कार्यकर्ता सीधे कॉल कर नेतृत्व से संवाद कर सकता है।
संभाग स्तर पर बनाए कॉल सेंटर
कांग्रेस अब अपने कार्यालय को आधुनिक बनाने की चर्चा कर रही है, जबकि भाजपा तो कई कदम आगे चल रही है। टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए भाजपा ने संभाग स्तर पर कॉल सेंटर भी स्थापित किए हैं। बूथ स्तर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से लेकर सैकड़ों लोगों को एक साथ जोड़कर मीटिंग की व्यवस्था बन चुकी है। इसी का नतीजा है कि 500 से ज्यादा वीडियो कॉन्फ्रेंस हो चुकी है। प्रधानमंत्री मोदी के निर्देशानुसार हर कार्यकर्ता को अपने काम के लिए जयपुर न आना पड़े, इसके लिए हर जिले में अत्याधुनिक कार्यालय शुरू किए जा चुके हैं।
रणनीति में आगे है भाजपा
टेक्नोलॉजी के साथ ही रणनीतिक रूप से भाजपा कांग्रेस से काफी आगे है। एक लाख से ज्यादा वॉट्सएप ग्रुप के अलावा संभाग स्तर पर कॉल सेंटर और 3000 से अधिक शक्ति केंद्र विकसित किए गए हैं। इससे पार्टी किसी नेता के चेहरे पर नहीं बल्कि संगठन के तौर पर चुनाव लड़ने को तैयार हैं। इसी की अगली कड़ी के तौर पर अन्य राज्यों के 200 विधायक हर एक विधानसभा क्षेत्र में अपने स्तर पर फीडबैक ले रहे हैं। अपनी रिपोर्ट तैयार कर वे भी केंद्रीय नेतृत्व को भेजेंगे।